Farmers Protest Latest News
17 सितंबर 2020 को लोकसभा से तीन बिल पास किए गए। जिनको प्रधानमंत्री Narendra Modi द्वारा टेलीविजन के माध्यम से देशवासियों को अवगत कराया गया। यह तीनों बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर कर कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020, यह तीनों किसानों के हित में बताए गए।
परंतु यह तीनों बिल किसानों को MSP(न्यूनतम समर्थन मूल्य) प्रणाली से दूर Corporative ओर अग्रसर होते हुए दिखाई पड़े, जिसमें किसानों को अपना हित दिखाई नहीं दिया और इन तीनों बिलों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन होना शुरू हुए। धीरे-धीरे यह किसान आंदोलन में बदल गया जो 9 अगस्त 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक चला|
जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और लगभग पूरे देश के किसानों द्वारा समर्थन दिया गया। यह आंदोलन एक वर्ष चार महीने और 2 दिन तक चला। जिसमें पुलिस कर्मियों द्वारा आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों पर पानी से प्रेशर द्वारा तेज बौछारें की गई, मारपीट की गई|
जिसमें 10 जुलाई 2021 तक आंकड़ों के अनुसार 537 किसानो की मृत्यु हो चुक और कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। इतनी लंबी अवधि के किसान आंदोलन के आखिर में 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री Narendra Modi द्वारा फार्म बिल को वापस ले लिया गया।
किसान आंदोलन 2020-21 की प्रमुख मांगे
- लागू किए गए तीनों किस बल को वापस लेना।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी प्रक्रिया द्वारा आश्वासित किया जाए।
- किसान संगठन के नेताओं और किसने पर लगे कैसे को वापस लिया जाए।
- कृषि में उपयोग किए जाने वाले ईंधन की कीमत को 50% से कम किया जाए।
- बिजली संशोधन अध्यादेश 2020 को निरस्त किया जाए।
- आंदोलन में जिन किसानों की मौत हुई उनके परिवार को मुआवजा मिले।
- किसानों को खेती में जलने वाले घास के प्रदूषण से बाहर किया जाए।
सरकार द्वारा इन मांगों के प्रति उत्तर में कहा गया
- तीनों बिल को वापस लेने की सहमति ।
- किसान आंदोलन में जिन किसानों की मृत्यु हुई उनके परिवार को 5 लाख मुआवजा वह एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया।
- किसान संगठनों के नेताओं और किसानों पर दर्ज किए गए केस को वापस लेने पर सहमति हुई।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य बना रहे इसके लिए समिति का गठन और संकट किसान मोर्चा को शामिल किए जाने का वादा किया गया।
किसान आंदोलन 2024 (Farmers Protest 2024)
सरकार द्वारा 2020-21 के किसान आंदोलन में किए गए वादों को पूरा ना करने के कारण किसानों द्वारा 2024 में फिर से सरकार को उन वादो पर अमल करने के लिए फिर से किसान आंदोलन शुरू करना पड़ा। जिसमें सर्वप्रथम किसान मंत्री (Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare of India) अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) वाणिज्य मंत्री Piyush Goyal गृह राज्य मंत्री (Minister of State for Home Affairs of India) नित्यानंद राय (Nityanand Rai) के साथ 8 फरवरी में 12 फरवरी को बातचीत हुई जिसमें कोई समाधान ना निकलने के कारण किसान Punjab Haryana Shambhu Border पर एकत्रित हुए।
जहां पर किसानों को रोके रखने के लिए सरकार द्वारा सड़क पर किले बिछाई गई, बेरी गेट लगाए गए कंक्रीट और पत्थरों से दीवारें खड़ी की गई। सरकार द्वारा लगाए गए अवरोधों को किस पार न कर सके। इसलिए पुलिस कर्मियों द्वारा उन पर अश्रु गैसों के गोले बरसाए गए।
13 फरवरी 2024 को किसानों द्वारा आंदोलन फिर से शुरू किया गया लेकिन 47 दिन बीतने के बाद भी अभी तक सरकार द्वारा किसानों की मांगों के प्रति उत्तर में कोई जवाब देही नहीं है। इस किसान आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा वह किसान मजदूर मोर्चा द्वारा ’दिल्ली चलो’ आह्वान के साथ 16 फरवरी 2024 को ग्रामीण भारत बंद का ऐलान किया गया।
किसानों का कहना है यह आंदोलन 2020-21 के किसान आंदोलन में सरकार द्वारा किए गए वादों को याद दिलाने और उन्हें पूरा किया जाने के लिए किया जा रहा है। और वादों के पुराने होने तक निरंतर चलता रहेगा। सरकार द्वारा किसने की कुछ मांगों में सहमति जताई गई है।लेकिन किसान सरकार से सीधी जवाबदेही चाहते हैं। और लगातार दिल्ली की तरफ जाने का प्रयास जारी है। इसी बीच पुलिस प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के अनुसार हरियाणा के 15 जिलों में हाई अलर्ट जारी है।
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— Arsh Sangha (@arshdeep_sangha) April 3, 2024
किसान आंदोलन 2024 की प्रमुख मांगे (Farmers Protest 2024 Demands)
1. केंद्र सरकार द्वारा फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी रूप से गारंटी दी जाए।
2. सरकार द्वारा किसानों को पर्यावरण प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए।
3. केंद्र सरकार द्वारा किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाए।
4. किसान आंदोलन में लगे किसने पर केस को वापस लिया जाए।
5. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की कीमतों का निर्धारण किया जाए।
6. भूमि अधिग्रहण कानून 2023 को फिर से लागू किया जाए
7. लखीमपुर खीरी में हुए दोषियों को सजा दी जाए।
8. संविधान में लिखित सूची 5 के अनुसार आदिवासियों की जमीन को लूटने पर रोक लगाई जानी चाहिए।
9. नकली बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर कार्यवाही की जाए।
10. मनरेगा में प्रतिवर्ष 200 दिन का मजदूरों को काम मिले और प्रति मजदुर ₹700 दिहाड़ी प्रदान की जानी चाहिए।
11. विद्युत संशोधन विधेय 2020 को रद्द किया जाना चाहिए।