सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को लोकसभा चुनाव की दूसरे चरण के मध्य में एक मामले पर सुनवाई की गई। भारतीय लेखक और प्रेरक वक्त शिव खेड़ा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जो NOTA (None Of The Above)से संबंधित थी। जिसका मकसद था कि अगर लोकसभा चुनाव में किसी भी अन्य उम्मीदवार से ज्यादा वोट NOTA को मिलते है तो चुनाव दोबारा करवाया जाए।
शिव खेड़ा की मांग क्या थी
प्रेरक वक्त शिव खेड़ा द्वारा कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट में NOTA से संबंधित याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुंड और जेबी परदीवाल की पीठ ने शुक्रवार को सनी करके चुनाव आयोग को नोटिस से भेजो जिसमें पीठ द्वारा कहा गया अगर NOTA को किसी भी अन्य उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिले तो उस स्थिति में चुनाव आयोग द्वारा नियम बनाए जाए जाने चाहिए।
इसमें शिव खेड़ा द्वारा कहा गया NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार माना जाए और NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को 5 साल तक चुनाव ना लड़ने दिया जाए। इसके साथ ही नोट के अतिरिक्त सभी उम्मीदवारों में से ज्यादा वोट पाने वाले को विजय घोषित करना NOTA के साथ बेमानी होगी। इसलिए चुनाव को रद्द करके नए सिरे से फिर से करवाया जाना चाहिए।
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NOTA को लाने का मुख्य उद्देश्य चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ाना था। इसके साथ ही पीठ द्वारा कहा गया NOTA कॉल आने से सूरत मैं होने वाली परिस्थिति जैसी स्थिति से बचाया जा सकता है।इसलिए 2013 में चुनाव आयोग द्वारा NOTA का एक अन्य विकल्प जोड़ा गया था। महाराष्ट्र पुडुचेरी और हरियाणा में नोट से मतदाताओं में बदलाव देखने को मिला है।